स्वस्थ और सुंदर दिखने के लिए हमारे दातों का बेहद अहम रोल होता है। लेकिन हम अपने दातों की सुरक्षा के लिए क्या करते हैं? आप शायद दिन में दो बार ब्रश करते होंगे या फिर दिन में तीन बार। ज्यादा से ज्यादा आप डेंटिस्ट से समय समय मिलते होंगे और अपने दातों की जांच भी करा लेते होंगे। लेकिन बावजूद इसके एक सर्वे के मुताबिक, अब काफी कम उम्र में ही लोगों को दातों की समस्या शुरू होने लगी है। ऐसे में आपको अपने दातों की सुरक्षा के लिए क्या करना चाहिए, चलिए आज हम आपको बताते हैं।
जरा सोचिए, जब तक ब्रश और डेंटिस्ट जैसे शब्दों का नामोनिशान नहीं था, तब लोग कैसे अपने दातों की सुरक्षा करते थे। इतिहास की जानकारी जिन्हें होगी, उन्हें इसका जवाब भी पता होगा। हम बात कर रहे हैं दातुन की. अगर आपको इसके बारे में नहीं पता, तो सुना तो जरूर होगा. क्या होता है दातुन ? क्यूं लाभकारी है दातुन? और कैसे ब्रश और टूथपेस्ट से भी गुणकारी होता है दातुन ? चलिए बताते हैं.
क्या होती है दातुन
दातुन कुछ निश्चित पेड़ों की टहनी से बनाई जाती है, जोकि पूरी तरह से दांत साफ और सुरक्षित रखने का एक प्राकृतिक तरीका होता है। आयुर्वेद के अनुसार दातों की दातुन से सफाई करने पर दांत लंबे समय तक टिके रहते हैं। टूथपेस्ट और टूथ ब्रश की तुलना में दातुन ज्यादा गुणकारी होते हैं। टूथ ब्रश से दातों की सफाई तो हो जाती है, लेकिन दातों के ऊपर का चिकनापन दूर नहीं होता। जिस कारण दांत कटने से शुरू हो जाते हैं।
इन पेड़ों की टहनी से बनाई जाती है दातुन
- नीम की दातुन : नीम एक चमत्कारी एंटीसेप्टिक पेड़ है। इसकी दातुन से दांत मजबूत और चमत्कार बनते हैं।
दातों के कीटाणु नष्ट करने के साथ साथ नीम की दातुन दातों की सड़न भी भगाने के लिए फायदेमंद होती है। यह मसूड़ों की पीप और घावों में लाभप्रद रहती है।
- बबूल की दातुन : बबूल की दातुन से मसूड़े सिकुड़ते नहीं है, साथ ही दातों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाकर रखते हैं। बबूल की दातुन से दातों की सफाई करते वक़्त बबूल का रस शरीर में जाता है, जो दुर्गंध खत्म करने के अलावा शरीर के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।
- करंज की दातुन : करंज के पेड़ दक्षिण भारत में काफी पाए जाते हैं। करंज की दातुन करने से दातों के कीटाणु नष्ट होते हैं, साथ ही दुर्गंध भी खत्म होती है।
- खैर की दातुन : ये दातुन मुख दुर्गंध दूर करने, दातुन से खून निकलने, बार बार मसूड़े फूलने आदि बीमारियों में लाभकारी रहती है। यह मसूड़ों को मजबूत बनाकर मुंह का स्वाद ठीक कर देती है। इसकी दातुन से स्वांस, खांसी, कृमि रोग में विशेष लाभकारी होती है।
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