साल था 1984. दिल्ली सिख विरोधी दंगों से उभरी ही थी कि दिल्ली और आसपास के राज्यों में ऐसे बम धमाके हुए कि हादसे में 69 की मौत हो गई और 127 लोग घायल हुए थे. नाइट बल्ब के विशेष कॉलम “संदूक” में आज आपको दिल्ली के उस बम धमाकों की पूरी जानकारी देंगे, जिसमें पहली बार धमाकों के लिए ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल हुआ था.
यह था पूरा मामला
साल 1984 में सिख विरोधी दंगो से निकलने के बाद देश की राजधानी की चाल पटरी पर आनी शुरू ही हुई थी. कुछ ही महीने बीते थे, लेकिन दिल्ली और आसपास के राज्यों में ट्रांजिस्टर का प्रयोग करके बम धमाके हुए. दिल्ली में ऐसे धमाके पहली बार हुए थे. ये ट्रांजिस्टर बम धमाके 1985 में मई के महीने में हुए थे. उस दिन शुक्रवार का दिन था. मुजरिमों ने ट्रांज़िस्टरों में बेम फिट करके उसे लोकल बसों में रख दिया था. यह बसें यूपी और हरियाणा जाने वाली अंतर्राजीय बसें थीं. इसके अलावा दहशतगर्दों ने ट्रेनों में भी ट्रांजिस्टर बमों को रख दिया था. इसके अलावा बमों को रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर भी फोड़ा गया था.
ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल पहली बार किया गया था
ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल कुछ इस तरह से किया गया था कि जैसे ही कोई ट्रांजिस्टर को चलाता था, वैसे ही धमाका हो जाता था. इन ट्रांज़िस्टर बम धमाकों से जुड़े अजीबो-गरीब वाकये भी सामने आए थे. डीटीसी की किसी बस में जब कंडक्टर ने एक लावारिस ट्रांजिस्टर पड़ा देखा तो उसने लोगों से पूछा कि अरे ये किसका है भाई, तो कई लोग उसे अपना बताकर झपटने के लिए दौड़े। इस दौरान वो फट गया. ऐसे भी हुआ कि बस या ट्रैन में किसी यात्री को ट्रांजिस्टर बम मिला, उसने चुपचाप से अपने पास रख लिया। बाद में उसने दिखाने के लिए कि ये ट्रांजिस्टर मेरा है, उसका बटन ऑन किया तो धमाका हो गया.
लाजपत राय के दुकानदारों के लिए हो गई थी मुसीबत
लाजपत राय मार्किट के दुकानदारों के लिए ट्रांजिस्टर बम धमाका कांड मुसीबत का सबब बन गया था. दरअसल, उन दौरान यहाँ दुकानदार ट्रांजिस्टर की खुली बॉडी भी बेचते थे. पुलिस ने उनकी दुकानों पर छापेमारी की थी. वहां के कई दुकानदार इन खाली ट्रांजिस्टर बॉडी बेचने के आरोप में गिरफ्तार भी हुए थे. लेकिन उन बेचारों को पता नहीं था कि जिन लोगों को वो खुली बॉडी बेच रहे थे, वो इनका इस्तेमाल बम धमाकों के लिए करेंगे.
45 आरोपियों को किया गया था गिरफ्तार
ट्रांजिस्टर बम धमाके कांड में दिल्ली पुलिस ने ४८ लोगों को गिरफ्तार किया था. साल २०१६ में सबूतों की कमी होने से पांच मुख्य आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया था. जानकारी के मुताबिक, सबसे ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी पश्चिमी दिल्ली से की गई थी.
साभार : रामेश्वर दयाल