दिल्ली सरकार दुबारा ओड इवन शुरू कर रही है. दिल्ली में ओड इवन सोमवार से शुरू होगा और 15 नवंबर तक चलेगा। दिल्ली सरकार का मानना है कि यह एक ऐसा प्रयास है, जिसकी मदद से प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकती है. जबकि विपक्ष इसको एक स्टंट बता रहा है. हालांकि खुद केजरीवाल सरकार खुद उस रिपोर्ट को किनारे कर चुकी है, जिसमें पिछले ओड इवन के बाद किए गए रिव्यु की रिपोर्ट थी.
रिव्यु में कहा गया था कि ओड इवन दिल्ली के प्रदूषण का हल नहीं है. अगर सरकार प्रदूषण कम करना चाहती है, तो इन तरीकों को जल्द से जल्द अमल में लाना होगा।
एक खास रिव्यु रिपोर्ट बनाई गई जिसमें कुछ निर्णय लिए गए जैसे
1. पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ाना होगा, डीटीसी की 10,000 नई बसें तुरंत दिल्ली की जरूरत हैं.
2. बीजिंग की तर्ज पर स्मोग फ्री टॉवर लगाने होंगे.
3. मेट्रो फेज फोर शुरू करना होगा.
4. सड़को की वैक्यूम क्लीनिंग करने होंगी.
5. दिल्ली की सभी सड़को को डस्ट फ्री सड़को में बदलना होगा.
6. दुनिया के कई बड़े शहरों की तरह बड़े बड़े एयर प्यूरीफायर लगाने होंगे.
7. कार फ्री डे को बढ़ावा देना होगा.
8. आफिस व स्कूलों की टाइमिंग बदलनी होंगी.
9. लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए बड़े कदम उठाने होंगे.
10. इलेक्ट्रिक बसों को खरीदना होगा.
11. ऑड इवन का प्रोटोकॉल बनाना होगा जिससे जब भी एक खास स्तर से ज्यादा हवा खराब हो ऑड ईवेन अपने आप लागू हो जाएं.
12. ऑड ईवेन टू व्हीलर्स पर भी लागू करना होगा.
13. पराली के पॉल्युशन को रोकने के लिए दिल्ली सरकार सीधे किसानों से पराली खरीद लेगी, इसके लिए बजट का प्रावधान किया जाएगा.
इस मसले पर बीजेपी के नेता और पूर्व विधायक कपिल मिश्रा ने कहा कि सरकार ने साढ़े चार साल इनमें से कोई काम नहीं किया, बल्कि इन प्रमुख बिंदुओं की जानकारी होने के बावजूद ओड इवन ही लाया जा रहा है. 1300 करोड़ रुपये का पर्यावरण सेस का पैसे में से दिल्ली की केजरीवाल सरकार एक रुपया खर्च नहीं कर पाई हैं. नई बसों के लिए ट्रांसपोर्ट का फंड बिना खर्च किये बेकार पड़ा हैं. पॉल्युशन कम करने के अध्ययन के नाम पर सतेंदर जैन, गोपाल राय और आशीष खेतान स्विट्ज़रलैंड, स्वीडन और कई अन्य देशों का दौरा करके आ चुके हैं।