करीब 49 साल पहले 1970 में आई निर्माता निर्देशक मोहन सहगल की फिल्म ‘सावन भादो‘ से अभी तक की बरकरार ब्यूटी क्वीन रेखा और नवीन निश्चल ने बॉलीवुड में कदम रखा था। मोहन सहगल को लोगों ने कहा भी कि यह जोड़ी बेमेल है। रेखा सांवली होने के साथ–साथ ज्यादा अच्छी भी नहीं दिखती थीं। दूसरी ओर नवीन निश्चल एकदम गोरे–चिट्टे थे और उनकी त्वचा दमकती थी। लेकिन मोहन सहगल ने किसी की बात नहीं सुनी और वही किया जो उनके दिल को अच्छा लगा।
सावन भादो रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर सफल फिल्म साबित हुई। नवीन को पहली ही फिल्म में कामयाबी मिली बॉलीवुड को मिल गया एक हीरो। अपनी पहली ही फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी के बाद तो नवीन के घर निर्माताओं की लाइन लग गई और नवीन ने बिना सोचे समझे ढेर सारी फिल्में साइन कर ली। नवीन ने जब अपना फिल्मी करियर आरंभ किया था तब वह दौर रोमांटिक फिल्मों का था।
राजेश खन्ना सुपरस्टार थे और लोग उनके दीवाने थे। नवीन निश्चल के अभिनय में राजेश खन्ना की झलक देखने को मिलती है। इसलिए उन्हें उन निर्माताओं ने साइन कर लिया जो राजेश को अपनी फिल्मों में नहीं ले सकते थे।इसलिए उन्हें गरीबों का राजेश खन्ना भी कहा जाने लगा। 1971 में नवीन की छह फिल्में रिलीज हुईं। इनमें 1971 में आई ‘बुड्ढा मिल गया‘ को तो कुछ सफलता मिली लेकिन बाकि की सभी फिल्में मुंह के बल आकर गिरीं। इससे नवीन को समझ में आ गया कि उन्होंने बिना सोचे समझे फिल्मे साइन करके गलती कर दी है। लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था। इसका उनके करियर पर गंभीर असर हुआ।
यह बात और है कि 1972 में आई उनकी फिल्मों ‘विक्टोरिया नं. 203‘ और 1973 में आई ‘धर्मा‘ जैसी सुपरहिट फिल्में रहीं। 1973 मे रिलीज हुई चेतन आनंद की फिल्म ‘हंसते जख्म’ में उनके अभिनय की सराहना भी हुई। इसमें वे प्रिया राजवंश के साथ नजर आए थे और फिल्म के गाने आज भी गुनगुनाए जाते हैं। इनके अलावा नवीन 1973 में ही रिलीज हुई `धुंध` के लंबे गैप के बाद 1979 में `दो लड़के दोनों कड़के` 1980 में रीलीज हुई `द बर्निंग ट्रेन`, 1981 में `होटल`, 1982 में `अनोखा बंधन`, 1982 में `देश प्रेमी`, 1988 में `सोने पे सुहागा`, 1992 में `राजू बन गया जेंटलमैन`, 1993 में `आशिक आवारा`, 1997 में `आस्था`, 2006 में `खोसला का घोसला` और 2010 में `ब्रेक के बाद` में नजर आए थे।