झंडेवालान आदि शक्ति मंदिर दिल्ली की दूसरी देवी कहलाती हैं। वैसे तो माता के मंदिर में हमेशा ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्रों में यह सामान्य दिनों से कई गुना तक बढ़ जाती है। भवन तक पहुंचने के लिए किलोमीटर तक की लंबी लाइन में लगे भक्त कब माता के जयकारे लगाते हुए भवन तक पहुंच जाते हैं, उन्हें खुद भी पता नहीं लगता है।
झंडेवालान मंदिर की स्थापना
मां कालका जी की ही तरह झंडेवालान आदिशक्ति देवी मंदिर की अपनी विशेष मान्यता है। कहा जाता है कि इसकी स्थापना बद्री भगत ने की थी। कहते हैं शेर पर सवारी करने वाली मां आदिशक्ति ने अपने एक भक्त बद्री भगत को सपना दिया। इसी सपने के बाद मंदिर की स्थापना की गई।
झंडेवालान मंदिर की खास बात यहां कि गुफा है। मां आदि शक्ति के दर्शन करने के लिए भक्तों को गुफा में भी जाना पड़ेगा लेकिन एक बार अंदर जाने के बाद गुफा से बाहर आने का मन नहीं करेगा। मंदिर में बनी गुफा के अंदर मां के कई रूप एक साथ देखने को मिलते हैं।
सुबह साढे़ पांच से रात दस बजे तक दिनभर में मां की पांच बार आरती होती है। सुबह साढे़ पांच बजे मां की मंगल आरती में मां को सूखे मेवे से भोग लगाया जाता है। नौ बजे श्रृंगार आरती मां आदि शक्ति का श्रृंगार कर चीले, चने दूध और नारियल का भोग लगाया जात है। तीसरी आरती भोग आरती होती है जिसमें मां को दाल-चावल-रोटी समेत पूरा खाना खिलाया जाता है। शाम को साढ़े सात बजे सांझ आरती में मां को चने का भोग लगाया जाता है। रात को दस बजे आरती कर मां को दूध पिलाकर सुलाया जाता है।
आदिशक्ति मंदिर में सिर्फ दिल्ली के लोग ही नहीं बल्कि बाहर से भी लोग आते हैं। यहां तक कि नवरात्रों में अपने घरों में माता की जोत जलाने के लिए यहां से अखंड जोत जगाकर ले जाते हैं। दिल्ली और दिल्ली के आसपास दादरी और हरियाणा के कुछ गांवों से लोग माता की जोत को यहीं से लेकर जाते हैं। अखंड जोत ले जाने वालों के लिए नवरात्रों के शुरू होने से पहले ही 24 घंटे की सेवा दी जाती है। सामान्य दिनों में तो मां के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की लाइन लगी रहती है लेकिन नवरात्रों में तो हर कोई चाहता है कि मां के दर्शन एक बार जरूर कर लें।
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Mandir, Masjid, Gurudwara और Church सब एक साथ