क्या मेरा मोल है, मैं खुद ही बताऊं कैसे
मैं इस देश की जनता को जगाऊं कैसे?
आज भी याद है, मेरी धरती पे फिरंगियों का आना
और जाते जाते वो अंग्रेजी का सबक दे जाना
कहां भूली हूं मैं वो चोट, जख्म दिखाऊं कैसे
क्या मेरा मोल है, मैं खुद ही बताऊं कैसे।
बहुत ही भोली है, मेरे देश की जनता
इसे अंग्रेज़ियत से मुक्त कराऊं कैसे
क्या मेरा मोल है, मैं खुद ही बताऊं कैसे
बोली जाती हूं मैं, इस देश के कोने कोने में
फिर भी अंग्रेजी का वर्चस्व मैं हटाऊं कैसे
जो शर्म आती है तुम्हें, मुझे लिखने पढ़ने में
यह देख मैं घुट घुट के जिए जाऊं कैसे
क्या मेरा मोल है, मैं खुद ही बताऊं कैसे
मेरे घर में भी लगता है मैं पराई हूं,
कि इस देश की नहीं कहीं और से आई हूं।
अपनी वेदना और रुदन मैं छिपाऊं कैसे
क्या मेरा मोल है, मैं खुद ही बताऊं कैसे
मैं हूं हिंदी बहुत ही प्यारी, बहुत आसां हूं
पढ़ लो और पढ़ा लो, ये विनती मैं सुनाऊं कैसे
क्या मेरा मोल है, मैं खुद ही बताऊं कैसे
अंग्रेजी के मोह में, मुझे करो न तुम बेघर
सोचती हूं हर जुबां और ह्रदय में समाऊं कैसे
इतनी विनती है कि मुझे तुम अपना लो,
मेरे अक्षरों को पिरो लो और माला बना लो
हिंदू हो या मुसलमां, हो सिक्ख या इसाई
जोड़ लो दिलों को कि तुम हो भाई-भाई
मैं हूं तुम्हारी हिंदी, नहीं हूं मैं पराई
मुझे अपना लो, मुझे अपना लो
देखो, फिर कोई फिरंगी आंख न उठाए,
और इस गुलिस्तां को नजर न लगाए|
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