Part-1
दिल्ली में रामलीलाओं का जिक्र हो और रामलीला ग्राउंड को याद न किया जाए। ऐसा नहीं हो सकता। रामलीलाओं का इतिहास ही रामलीला ग्राउंड की रामलीला से शुरू हुआ था। यह रामलीला मुगलों के जमाने से ही चल रही हैं। इस रामलीला को देखने के लिए मुगल शासकों के साथ साथ अंग्रेज भी आते थे। कहा यह भी जाता है कि दिल्ली में रामलीला की शुरूआत कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर से हुई थी। कनॉट प्लेस में रामलीला की शुरूआत अकबर के शासनकाल में तुलसीदास जी ने कराई थी।
दिल्ली में रामलीला की शुरूआत कनॉट प्लेस से हुई थी। बाद में इस रामलीला को औरंगजेब ने बंद करवा दिया था। इसके बाद दोबारा रामलीला मुहम्मद शाह रंगीला के समय में शुरू की गई। कहा जाता है कि एक बार दिल्ली के शासक मुहम्मद शाह रंगीला का खजाना किसी लड़ाई में खाली हो गया। उस समय मंत्रियों ने कहा कि आप सेठ सीता राम, सेठ घासीराम और लाला पातीराम तीनों भाईयों को बुलाकर धन की मांग करो।
रंगीला ने मंत्रियों के कहने पर तीनों भाइयों को बुलवाया और धन की मांग की। लाला सीता राम ने रंगीला से कहा कि आपको किस सन के कितने सिक्के चाहिएं। इसके बाद लाला सीताराम ने रंगीला की बात मानते हुए दरबार में धन के ढेर लगा दिए। आखिर में रंगीला को ही कहना पड़ा बहुत हो गया।
इसके बाद रंगीला ने सेठ सीताराम से कहा कि मांगों क्या मांगते हो। इस पर सेठ सीताराम ने उनसे रामलीला करने की इजाजत मांगी। मंत्रियों के मना करने के बावजूद रंगीला ने सेठ सीताराम को उनकी हवेली में रामलीला करने की इजाजत दे दी। पुरानी दिल्ली में तभी से रामलीला होती आ रही है।
पहले राम बारात पैदल निकाली जाती थी। कहा जाता है कि एक बार लार्ड हार्डिंग बग्गी में जा रहे थे। लोगों ने कहा कि राम बारात भी बग्गी में निकाली जानी चाहिए। इस पर सेठ छन्ना मल ने अपनी बग्गी राम बारात के लिए दे दी। बाद में सेठ छन्नामल ने उस बग्गी को परमानेंट राम बारात निकालने वालों को दे दिया था। इस बारात की सुरक्षा के लिए करीब 50 अखाड़ों के पहलवान साथ साथ करतब दिखाते हुए चलते थे। देश आजाद होने के बाद ही अखाड़ों का चलना बंद हुआ था। पहले लवकुश रामलीला देखने के लिए लोग कम आते थे। लव कुश रामलीला में भीड़ बढ़ाने के लिए स्व. एच के एल भगत ने पहली बार दूरदर्शन पर उस समय दिखाए जाने वाले सबसे पसंदीदा और चर्चित सीरियल रामायण के कलाकारों को बुलाया था। एक बार की बात है कि हेमा मालिनी को भी रामलीला देखने के लिए लालकिले पर बुलाया गया। इसकी घोषणा दो दिन पहले ही कर दी गई थी। बस फिर क्या था। रामलीला देखने वाले उस दिन रामलीला शुरू होने से दो घंटे पहले ही आकर बैठ गए थे और रामलीला के अंतिम सीन तक बैठे रहे। क्योंकि हेमा मालिनी को रामलीला के अंत में बुलाया गया था। ताकि रामलीला में पूरी भीड़ बनी रहे और राम की लीला घर घर पहुंचे। वैसे, भी जब पश्चिमी सभ्यता हावी हो रही हो। राम का नाम घर घर पहुंचना जरूरी है। इससे परिवारवाद को बढ़ावा मिलता है। असल में कुछ लोग तो आज भी रामलीला को मेले के रूप में देखते हैं। वह रामलीला में अपने परिवार को चाट पकौड़ी खिलाने जरूर लाते हैं। वैसे, भी चांदनी चौक की चाट पकौड़ी के लिए मशहूर है।
Part-2 में आपको दिल्ली की अन्य मशहूर रामलीलाओं की जानकारी दी जाएगी।
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