खेली मेरी क़िस्मत ऐसी की कूदना भूल गयी
अच्छे खासे जीवन से सारी ख़ुशियाँ ले गयी
दाँव ऐसे चले कि ज़िंदगी शतरंज का खेल बन गयी
वज़ीर की चाल की ताक़त प्यादे से भी कम रह गयी
ज़रा-सी पलक झपकी थी मेरी
जिसमें बाज़ी का आभास ना हुआ
ख़ाली पड़े मैदान में
एक प्यादे ने सारा खेल ख़राब कर दिया
ग़नीमत यही है बस कि अभी भी वज़ीर ज़िंदा है
वरना बाक़ी सभी के खेल से हर कोई शर्मिंदा है
सिर्फ़ उम्मीद है कि मेरे भरोसेमंद प्यादे अब सही चाल चलेंगे
मेरी ख़ुशियाँ और मेरा कल छीनने वालों को मुँह-तोड़ जवाब देंगे
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