आजकल टेंशन के कारण होने वाले बीमारियां तेजी से लोगों में बढ़ रही हैं। इसलिए डॉट कॉम (.Com) के युग में सेहत पर आम लोग ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। जैसे-जैसे लोग यह समझ पा रहे हैं कि खाते-पीते वक्त भी सजगता बरतनी चाहिए, वैसे वैसे ही फूड स्पेशलिस्ट यानी फूड साइंटिस्ट की डिमांड मार्केट में बढ़ रही है। यह एक नया ट्रेंड है, जो धीरे- धीरे उभर रहा है। यूवा इसको अपना बिजनेस बना रहे हैं। आइए आपको बताते हैं? कौन होता है फूड साइंटिस्ट और कैसे बन सकता है यह कमाई का जरिया

कौन होते हैं फूड साइंटिस्ट या फूड स्पेशलिस्ट
फूड साइंटिस्ट को आप डाईटिशियन भी कह सकते हैं। इसके लिए लोगों के खान-पान की आदतों और स्थितियों से होने वाले अनेक बाहरी और आंतरिक नुकसानों को ध्यान रखते हुए सही डाइट को चुनना जरूरी होता है। इसके अलावा जैव-रसायन प्रकिया, शरीर-विज्ञान संबंधी प्रक्रिया एवं भोजन व मानव शरीर की विस्तृत जानकारी होना आवश्यक है।
क्यूं बढ़ रहा है फूड साइंटिस्ट या Dietitian का ट्रेंड
फूड साइंटिस्ट के प्रति आम धारणा रहती है कि ये विशेषतौर पर अस्पताल में काम पर रखे जाते हैं, जो बीमार लोगों के खान-पान का ध्यान रखते हैं। दरअसल, ऐसा अब नहीं है। बढ़ती जनसंख्या, टेंशन, प्रदूषण आदि से सेहत को हो रहे नुकसान को देखते हुए अब लोग ऐसे डॉक्टरों की तलाश में रहते हैं, जो उन्हें पौष्टिक भोजन की जानकारी दे सके। हालांकि, इंटरनेट पर कई हजार वेबसाइट मिल जाएंगी, लेकिन शरीर की अंदरूनी क्षमताओं के अनुसार एक पर्सनल डॉक्टर ही अच्छी सलाह दे सकता है।

कैसे बनें Dietitian
पौष्टिक भोजन का क्षेत्र काफी बड़ा है। इसमें व्यक्ति प्रैक्टिस के अलावा ट्रेनिंग और रिसर्च सेंटर के क्षेत्र में पैर जमा सकता है। ग्रंथ अकादमी, नई दिल्ली से प्रकाशित ए. गांगुली और एस. भूषण की किताब ‘‘अपना कैरियर स्वयं चुनें’’ के अनुसार आहार विशेषज्ञ यानी फूड साइंटिस्ट इस क्षेत्र में से मनपसंद विकल्प चुन सकते हैं। फूड साइंटिस्ट का काम बीमार व्यक्ति का सबसे पहले स्टडी करना है, जिसमें उसके व्यवहार, नौकरी के बारे में जानना आदि है, जिसके बाद बीमार व्यक्ति की डाइट तैयार करना है। देशभर में जगह-जगह खुले हुए हेल्थक्लब, मोटापा दूर करने वाले क्लीनिक तथा स्पास भी उन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है जो आहार विशेषज्ञ के रूप में प्रैक्टिस करना चाहते हैं।
बड़े संस्थानों में भी कर सकते हैं नौकरी
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आनेवाले नेस्ले जैसे खाद्य उद्योग तथा एनआईएन (राष्ट्रीय पोषण संस्थान) जैसी संस्थाओं में भी ऐसे व्यावसायिक रखे जाते हैं। समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लिए सामुदायिक कार्यशालाओं का आयोजन तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन, स्कूलों तथा गृह विज्ञान महाविद्यालयों में शिक्षण जैसे अन्य क्षेत्रों में भी फूड साइंटिस्ट के लिए नई-नई संभावनाएं मौजूद हैं। होटल और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भी इच्छुक फूड साइंटिस्ट के लिए आकर्षक नौकरियां हैं। परामर्श, फास्ट फूड उद्यम तथा पार्टी केटरिंग सेवाएं अन्य क्षेत्र हैं।
कितना कमा सकता है एक Dietitian
फूड साइंटिस्ट को सरकारी अस्पताल में शुरूआत में लगभग दस हजार रुपये हर महीने सैलरी मिलती है। निजी अस्पतालों में पंद्रह हजार रुपये तक दिए जाते हैं। इसके बाद प्रत्येक सीटिंग के लिए लगभग दो सौ से तीन सौ रुपये तक फीस लेते है। जिन लोगों के पास वर्षों का कार्य अनुभव है वह आसानी से पच्चीस हजार रुपये प्रति माह कमा सकते हैं। फूड साइंटिस्ट के कार्य की चुनौती नुस्खा लिखने से ज्यादा नए ढंग से सोचकर रोगियों और क्लाइंटों के लिए आकर्षक डाइट तैयार करना है। बीएस.सी या पोषण व आहार विज्ञान में डिप्लोमा पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद विद्यार्थी तत्काल इस दिशा में रोजगार खोज सकता है और अपना कैरियर बना सकता है।
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