औरंगजेब ने अपने शासन के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने का फरमान जारी किया था, हालांकि, उस फरमान में मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद कायम करने का फरमान नहीं दिया गया था। लेकिन फिर भी यहां विवादित ढांचा वहां बना दिया गया.
यह कहना है, काशी विश्वनाथ मंदिर के पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी का. आज विजय शंकर रस्तोगी की बदौलत काशी के विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे करने की अनुमति वाराणसी की सिविल कोर्ट ने दी है. अब केंद्र के पुरातत्व विभाग के 5 लोगों की टीम पूरे परिसर का रिसर्च करेगी.
कोर्ट के इस फैसले के अनुसार मस्जिद की प्रमाणिकता का भी पता लगाया जाएगा कि आखिर इस मस्जिद को कब बनाया गया है. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में इसे बड़ा फैसला माना जा रहा है।
दरअसल दिसंबर 2019 में विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज की अदालत में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से एक आवेदन दायर किया था और पूरे क्षेत्र का पुरातत्व विभाग की ओर से सर्वे कराने की मांग रखी थी.
विजय शंकर रस्तोगी का कहना है कि विवादित ढांचा काशी विश्वनाथ मंदिर की जगह पर ही बनाया गया है। जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि विश्वनाथ मंदिर कभी यहां था ही नहीं. औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ा ही नहीं था और मस्जिद तो अनंत काल से कायम है.